चेक बाउंस होने पर क्या करें? पूरी कानूनी प्रक्रिया, सजा और बचाव के उपाय (2025 गाइड)

चेक बाउंस (Check Bounce) क्या है?

चेक बाउंस या डिशोनर ऑफ चेक एक गंभीर वित्तीय और कानूनी समस्या है जो तब होती है जब बैंक किसी चेक को भुगतान के लिए स्वीकार नहीं करता। भारत में, यह निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत एक आपराधिक अपराध माना जाता है, जिसमें जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है।

चेक बाउंस

चेक बाउंस के प्रमुख कारण

  1. खाते में अपर्याप्त धनराशि (Insufficient Funds) – चेक जारी करते समय खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना।

  2. चेक की तारीख समाप्त होना (Expired Cheque) – चेक की वैधता 3 महीने की होती है, उसके बाद वह अमान्य हो जाता है।

  3. हस्ताक्षर मेल न खाना (Signature Mismatch) – चेक पर दिए गए हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते।

  4. खाता बंद होना (Account Closed) – यदि चेक जारीकर्ता ने अपना बैंक खाता बंद कर दिया हो।

  5. चेक कटा या फटा हुआ हो (Torn/Defaced Cheque) – यदि चेक क्षतिग्रस्त है, तो बैंक इसे स्वीकार नहीं करेगा।


चेक बाउंस होने पर क्या करें? (Step-by-Step Legal Process)

1. चेक बाउंस नोटिस भेजें (Legal Notice under Section 138 NI Act)

  • चेक बाउंस होने के 30 दिनों के भीतर कानूनी नोटिस भेजना अनिवार्य है।

  • नोटिस में निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी चाहिए:

    • चेक की राशि

    • चेक बाउंस होने की तारीख

    • 15 दिनों के भीतर भुगतान की मांग

    • भुगतान न करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

  • नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट या वकील के माध्यम से भेजें।

2. चेक बाउंस की शिकायत कहाँ करें?

यदि नोटिस के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं होता, तो आप निम्नलिखित स्थानों पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं:

A. मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दर्ज करें

  • समय सीमा: चेक बाउंस होने की तारीख से 30 दिनों के अंदर

  • आवश्यक दस्तावेज:

    • बाउंस हुए चेक की कॉपी

    • बैंक द्वारा जारी चेक रिटर्न मेमो

    • कानूनी नोटिस की प्रति

B. ऑनलाइन शिकायत कैसे करें?

  1. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर शिकायत – https://consumerhelpline.gov.in

  2. बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत – https://www.rbi.org.in

  3. पुलिस थाने में एफआईआर – यदि धोखाधड़ी का संदेह हो।

3. 138 NI Act के तहत सजा और जुर्माना

  • जुर्माना: चेक की राशि का दोगुना या अधिकतम 2 साल की जेल

  • समझौता: कोर्ट में मध्यस्थता (Mediation) के माध्यम से भी मामला सुलझाया जा सकता है।

4. चेक बाउंस केस में जमानत (Bail in Check Bounce Case)

  • धारा 138 के तहत जमानत योग्य अपराध है, लेकिन कोर्ट शर्तें लगा सकती है।

  • जमानत प्रक्रिया:

    • अपने वकील के माध्यम से जमानत याचिका दाखिल करें।

    • कोर्ट द्वारा निर्धारित जमानत राशि जमा करें।


चेक बाउंस केस से कैसे बचें? (Prevention Tips)

✅ चेक देने से पहले खाते में पर्याप्त बैलेंस सुनिश्चित करें।
✅ चेक की तारीख और हस्ताक्षर सही रखें।
✅ यदि चेक बाउंस हो जाए, तो तुरंत भुगतान करके मामला सुलझाएं।


FAQs: चेक बाउंस से जुड़े सामान्य सवाल

Q1. क्या चेक बाउंस के लिए पुलिस सीधे गिरफ्तारी कर सकती है?

नहीं, पहले कोर्ट में केस दर्ज होता है, उसके बाद ही गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू होती है।

Q2. चेक बाउंस का केस कितने समय तक चलता है?

आमतौर पर 6 महीने से 2 साल, लेकिन केस की जटिलता पर निर्भर करता है।

Q3. क्या चेक बाउंस केस में समझौता हो सकता है?

हाँ, कोर्ट में मध्यस्थता (Mediation) या पार्टियों के बीच समझौता हो सकता है।


निष्कर्ष

चेक बाउंस एक गंभीर अपराध है जिसमें कानूनी कार्रवाई और जुर्माना हो सकता है। यदि आपका चेक बाउंस हो गया है, तो तुरंत वकील से सलाह लें और कानूनी नोटिस भेजें। सही प्रक्रिया अपनाकर आप अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।

📌 स्रोत (Sources):

  • निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) दिशानिर्देश

  • सुप्रीम कोर्ट के निर्णय

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top