भारतीय संविधान की प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
(Preamble of the Indian Constitution in Hindi)
हम, भारत के लोग,
भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए,
तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय;
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, श्रद्धा और उपासना की स्वतंत्रता;
प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए;
और उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली
बन्धुता बढ़ाने के लिए;
दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 को
यह संविधान अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
✨ सरल शब्दों में प्रस्तावना का अर्थ: |भारतीय संविधान की प्रस्तावना
प्रस्तावना वह भूमिका है जो हमारे संविधान की आत्मा (Soul) को दर्शाती है। यह यह बताती है कि:
-
संविधान किसने बनाया – भारत के लोगों ने खुद।
-
भारत किस प्रकार का देश है –
एक स्वतंत्र (Sovereign),
समाजवादी (Socialist),
पंथनिरपेक्ष (Secular),
लोकतांत्रिक (Democratic),
और गणराज्य (Republic) देश। -
भारत किन उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है –
-
न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक)
-
स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना की)
-
समानता (प्रतिष्ठा और अवसर की)
-
बंधुत्व (व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता व अखंडता को बनाए रखना)
-
📌 उदाहरण से समझें: |भारतीय संविधान की प्रस्तावना
मान लीजिए आप एक स्कूल बनाते हैं। उसकी शुरुआत में आप यह बताते हैं कि यह स्कूल क्यों बनाया जा रहा है, किसके लिए है, और इसमें किन-किन मूल्यों को सिखाया जाएगा। यही काम संविधान की प्रस्तावना करती है – यह बताती है कि भारत कैसा देश होगा और इसमें नागरिकों को कौन-कौन से अधिकार और मूल्य मिलेंगे।
✅ निष्कर्ष:
प्रस्तावना संविधान का सार है। यह हमें राष्ट्र की पहचान, उसका चरित्र और उसके उद्देश्य को समझने में मदद करती है। यह संविधान का आदर्श और मार्गदर्शक हिस्सा है।
प्रस्तावना के मुख्य तत्व (Key Elements of Preamble in Hindi) |भारतीय संविधान की प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निम्नलिखित मुख्य तत्वों का उल्लेख किया गया है:
1. हम भारत के लोग (We, the People of India)
-
यह दिखाता है कि संविधान की सर्वोच्च शक्ति भारत की जनता में निहित है।
-
इसका मतलब है कि संविधान जनता द्वारा, जनता के लिए और जनता का ही है।
2. सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न (Sovereign)
-
भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है, जो किसी भी बाहरी शक्ति के अधीन नहीं है।
-
भारत अपने निर्णय स्वयं लेता है, चाहे वह आंतरिक हो या बाह्य।
3. समाजवादी (Socialist)
-
इसका अर्थ है सामाजिक और आर्थिक समानता।
-
सरकार यह सुनिश्चित करती है कि संसाधनों का न्यायसंगत वितरण हो और गरीबों को अवसर मिलें।
4. पंथनिरपेक्ष (Secular)
-
भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं है।
-
सभी धर्मों को बराबर सम्मान दिया जाता है और राज्य धर्मनिरपेक्ष रूप से कार्य करता है।
5. लोकतंत्रात्मक (Democratic)
-
भारत में सरकार जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से चलाई जाती है।
-
जनता को मतदान का अधिकार और सरकार बदलने की शक्ति प्राप्त है।
6. गणराज्य (Republic)
-
भारत का राष्ट्राध्यक्ष (President) जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
-
कोई भी व्यक्ति जन्म से राजा या शासक नहीं बन सकता।
7. न्याय (Justice)
-
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सभी नागरिकों को देने का लक्ष्य है।
-
कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
8. स्वतंत्रता (Liberty)
-
नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता दी जाती है।
-
हर व्यक्ति को अपने विचार रखने और धर्म मानने का अधिकार है।
9. समानता (Equality)
-
कानून की नजर में सभी नागरिक समान हैं।
-
कोई ऊँच-नीच या भेदभाव नहीं होना चाहिए।
10. बंधुत्व (Fraternity)
-
सभी नागरिकों में भाईचारा, एकता और अखंडता की भावना को बढ़ावा देना।
-
हर व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखना और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना।
✅ निष्कर्ष:
प्रस्तावना के ये 10 मुख्य तत्व भारत को एक लोकतांत्रिक, समानतावादी और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने के लिए मूल आधार हैं। ये तत्व भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाते हैं।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर 20 बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs in Hindi)
1. प्रश्न: प्रस्तावना क्या है?
उत्तर: प्रस्तावना संविधान का परिचय और उद्देश्य बताने वाला भाग है।
2. प्रश्न: भारतीय संविधान की प्रस्तावना किसने तैयार की?
उत्तर: इसे संविधान सभा ने तैयार किया था।
3. प्रश्न: प्रस्तावना में “हम, भारत के लोग” का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका मतलब है कि संविधान की शक्ति और अधिकार जनता से आता है।
4. प्रश्न: प्रस्तावना का संविधान में क्या महत्व है?
उत्तर: यह संविधान के उद्देश्य, सिद्धांत और भावना को दर्शाता है।
5. प्रश्न: क्या प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है?
उत्तर: हाँ, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है।
6. प्रश्न: प्रस्तावना में भारत को किस रूप में वर्णित किया गया है?
उत्तर: भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बताया गया है।
7. प्रश्न: “सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न” का अर्थ क्या है?
उत्तर: भारत स्वतंत्र राष्ट्र है, जो किसी बाहरी शक्ति के अधीन नहीं है।
8. प्रश्न: प्रस्तावना में “समाजवादी” शब्द कब जोड़ा गया था?
उत्तर: इसे 42वें संशोधन (1976) में जोड़ा गया था।
9. प्रश्न: “पंथनिरपेक्ष” का क्या मतलब है?
उत्तर: राज्य सभी धर्मों के प्रति समान और निष्पक्ष होता है।
10. प्रश्न: भारत को “गणराज्य” क्यों कहा गया है?
उत्तर: क्योंकि भारत का राष्ट्रपति चुना हुआ होता है, राजा नहीं।
11. प्रश्न: प्रस्तावना में न्याय का क्या मतलब है?
उत्तर: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान करना।
12. प्रश्न: प्रस्तावना में स्वतंत्रता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और पूजा की स्वतंत्रता।
13. प्रश्न: प्रस्तावना में समानता का क्या अर्थ है?
उत्तर: सभी नागरिकों को समान अवसर और सम्मान मिलना।
14. प्रश्न: प्रस्तावना में बंधुत्व का क्या अर्थ है?
उत्तर: सभी नागरिकों में भाईचारा और राष्ट्रीय एकता की भावना।
15. प्रश्न: क्या प्रस्तावना को संविधान में संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन संविधान की मूल भावना को बदले बिना।
16. प्रश्न: प्रस्तावना में “हम, भारत के लोग” क्यों लिखा गया है?
उत्तर: ताकि यह स्पष्ट हो कि संविधान की शक्ति जनता से आती है।
17. प्रश्न: प्रस्तावना कब और कहाँ अपनाई गई थी?
उत्तर: 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में।
18. प्रश्न: प्रस्तावना में न्याय के कितने प्रकार हैं?
उत्तर: तीन प्रकार – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।
19. प्रश्न: क्या प्रस्तावना में उल्लिखित सभी शब्दों का संविधान में उल्लंघन हो सकता है?
उत्तर: नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावना को संविधान की मूल संरचना माना है।
20. प्रश्न: प्रस्तावना को “संविधान का आत्मा” क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि यह संविधान के उद्देश्य, मूल्यों और दर्शन को संक्षेप में प्रस्तुत करती है।
#प्रस्तावना, #भारतीयसंविधान,#संविधान_का_परिचय,#कानूनीअध्ययन,#एलएलबी_नोट्स,#राजनीतिशास्त्र,#भारतीयराजनीति,#यूपीएससी_तैयारी,#मौलिकअधिकार,#नागरिकशास्त्र,#डॉ_आंबेडकर,#भारतीय_लोकतंत्र,#सामाजिक_न्याय,#भारतराज्यगणराज्य,