पर्यावरण कानून 2025: AIBE उम्मीदवारों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका
परिचय: पर्यावरण कानून
भारत में पर्यावरण कानून संविधानिक प्रावधानों, विधिक कानूनों, और न्यायिक निर्णयों का एक समग्र संयोजन है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना है। प्रमुख पर्यावरण कानूनों में शामिल हैं:
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पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
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वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981
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जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974
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वन अधिनियम, 1927
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वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
न्यायपालिका ने इन कानूनों की व्याख्या करने और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 – व्याख्या
पृष्ठभूमि
भोपाल गैस त्रासदी (1984) के बाद भारत सरकार ने इस अधिनियम को बनाया। यह एक शक्तिशाली और समेकित कानून था, जिसका उद्देश्य ऐसी त्रासदियों को रोकना और सार्वजनिक स्वास्थ्य व प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना था। यह अधिनियम 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ।
उद्देश्य
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पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के लिए व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करना।
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केंद्र सरकार को प्रदूषण रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के उपाय अपनाने के अधिकार देना।
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1972 के स्टॉकहोम मानव पर्यावरण सम्मेलन के निर्णयों को लागू करना।
मुख्य विशेषताएं
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पर्यावरण की व्यापक परिभाषा – जल, वायु, भूमि, और इनके बीच मानव, जीव-जंतु, पौधे, सूक्ष्मजीव, और संपत्ति के संबंध।
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केंद्र सरकार के अधिकार (धारा 3) – पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक सभी कदम उठाना।
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उत्सर्जन का नियंत्रण (धारा 7) – निर्धारित मानकों से अधिक प्रदूषक छोड़ना वर्जित।
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निर्देश जारी करने का अधिकार (धारा 5) – उद्योगों को बंद करने या नियंत्रित करने के लिए।
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दंड प्रावधान (धारा 15) – उल्लंघन पर 5 वर्ष तक की जेल और 1 लाख तक जुर्माना।
महत्व
यह अधिनियम जल और वायु अधिनियमों के लिए छत्र (उम्ब्रेला) कानून की तरह कार्य करता है, जिसमें खतरनाक पदार्थों, औद्योगिक उत्सर्जन, और पारिस्थितिक संरक्षण को नियंत्रित किया जाता है।
वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981
पृष्ठभूमि
यह अधिनियम 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद भारत की प्रतिबद्धता के तहत लागू हुआ, ताकि वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के उपाय स्थापित किए जा सकें।
उद्देश्य
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वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और समाप्ति।
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केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना।
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औद्योगिक इकाइयों, वाहनों से वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना।
प्रमुख प्रावधान
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना।
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प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित करने का अधिकार।
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उद्योगों को संचालन की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक।
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उत्सर्जन सीमाओं का पालन अनिवार्य।
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निरीक्षण और दंड प्रावधान।
महत्वपूर्ण न्यायिक मामले
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एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (ताज महल मामला, 1997) – प्रदूषण के कारण ताज महल की रक्षा के लिए उद्योगों को बंद करने का आदेश।
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सुबाष कुमार बनाम बिहार राज्य (1991) – स्वच्छ वायु को जीवन के अधिकार के तहत माना गया।
जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974
पृष्ठभूमि
जल प्रदूषण की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए यह पहला बड़ा पर्यावरण कानून था।
उद्देश्य
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जल प्रदूषण रोकना और नियंत्रण करना।
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जल की गुणवत्ता बनाए रखना।
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केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना।
परिभाषा
जल प्रदूषण का अर्थ है जल में ऐसे परिवर्तन जो स्वास्थ्य, जीव-जंतुओं या जल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
प्रमुख प्रावधान
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना।
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उद्योगों को पहले से अनुमति लेना आवश्यक।
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प्रदूषक पदार्थों के जल में बहाने पर रोक।
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दंड और जेल की सजा।
महत्वपूर्ण मामला
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एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (गंगा प्रदूषण मामला, 1988) – प्रदूषण फैलाने वाले टैनरियों को बंद करने का आदेश।
भारतीय वन अधिनियम, 1927
पृष्ठभूमि
यह अधिनियम ब्रिटिश काल में वन संसाधनों के नियंत्रण के लिए बनाया गया था। यह आज भी वन प्रबंधन का आधार है।
उद्देश्य
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वन भूमि और संसाधनों का नियंत्रण।
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अवैध कटाई, शिकार, और अतिक्रमण रोकना।
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संरक्षण और राजस्व के लिए वन प्रबंधन।
वन वर्गीकरण
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आरक्षित वन (सबसे सख्त संरक्षण)
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संरक्षित वन
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ग्राम वन
प्रमुख प्रावधान
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वन उत्पादों के परिवहन पर नियंत्रण।
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अवैध गतिविधियों पर दंड।
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वन अधिकारों का निर्धारण।
आलोचना
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वनवासियों के अधिकारों की अनदेखी।
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आदिवासी समुदायों के साथ संघर्ष।
सुधार
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वन अधिकार अधिनियम, 2006 ने आदिवासियों के अधिकारों को मान्यता दी।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
पृष्ठभूमि
भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए पहला राष्ट्रीय कानून।
उद्देश्य
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वन्यजीवों की रक्षा।
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जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना।
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शिकार और अवैध व्यापार पर रोक।
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संरक्षित क्षेत्र बनाना।
प्रमुख प्रावधान
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शिकार पर प्रतिबंध।
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संकटग्रस्त पौधों का संरक्षण।
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संरक्षित क्षेत्र जैसे राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य।
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वन्यजीव अधिकारियों की नियुक्ति।
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दंड प्रावधान।
न्यायिक मामले
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WWF बनाम भारत संघ – शेरों के पुनर्वास पर फैसला।
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संसार चंद बनाम राजस्थान – वन्यजीव तस्करी मामले में सजा।
पर्यावरण कानून के प्रमुख मुकदमे
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एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (1986) – ओलियम गैस लीक, अभूतपूर्व उत्तरदायित्व सिद्धांत स्थापित।
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वेल्लोर सिटिज़न वेलफेयर फोरम बनाम भारत संघ (1996) – प्रदूषण नियंत्रण में ‘प्रिकॉशनरी प्रिंसिपल’ लागू।
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सुबाष कुमार बनाम बिहार (1991) – स्वच्छ पर्यावरण को मौलिक अधिकार माना।
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इंडियन काउंसिल फॉर एनवायरो-लीगल एक्शन बनाम भारत संघ (1996) – ‘प्रदूषक भुगतान करे’ सिद्धांत लागू।
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नर्मदा बचाओ आंदोलन बनाम भारत संघ (2000) – बड़े बांध निर्माण और पुनर्वास के मुद्दे पर संतुलन।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
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भारत में ‘अभूतपूर्व उत्तरदायित्व सिद्धांत’ किस मामले में लागू हुआ?
उत्तर: एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ -
‘प्रदूषक भुगतान करे’ सिद्धांत किस मामले में लागू हुआ?
उत्तर: वेल्लोर सिटिज़न वेलफेयर फोरम बनाम भारत संघ -
स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार संविधान के किस अनुच्छेद में है?
उत्तर: अनुच्छेद 21 -
भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए छत्र कानून कौन सा है?
उत्तर: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 -
नर्मदा बचाओ आंदोलन किस मुद्दे से संबंधित था?
उत्तर: बड़े बांध निर्माण और विस्थापन
निष्कर्ष
पर्यावरण कानून भारत के सतत विकास की नींव है। यह आर्थिक विकास और पारिस्थितिक संतुलन के बीच संतुलन बनाता है, सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करता है, और समुदायों को सशक्त बनाता है। भारत जैसे जैविक विविधता से समृद्ध और घनी आबादी वाले देश में, मजबूत पर्यावरण कानून आवश्यक हैं।
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