Cheque Bounce पर राहत: सुप्रीम कोर्ट का नया नियम अब सीधे जेल नहीं! | 2025

✅ अब चेक बाउंस पर नहीं होगी सीधी जेल! सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला – जानिए नए नियम

 

अगर आप बिज़नेस करते हैं या किसी को पेमेंट के लिए चेक देते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। चेक बाउंस अब भी एक गंभीर कानूनी मामला है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े नियमों में कुछ राहत दी है। अब हर bounced cheque पर सीधे जेल नहीं होगी – पहले सुधार का मौका मिलेगा। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि नया नियम क्या कहता है और आपको क्या सावधानियां रखनी चाहिए।


💡 चेक बाउंस क्या होता है?

जब कोई व्यक्ति चेक देता है और उसके बैंक अकाउंट में उतनी रकम नहीं होती, तो बैंक उस चेक को “बाउंस” कर देता है। इसका मतलब है कि चेक क्लियर नहीं हुआ और पेमेंट नहीं हो सका।

चेक बाउंस होने के प्रमुख कारण:

  • खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना

  • गलत सिग्नेचर या ओवरराइटिंग

  • एक्सपायर्ड चेक देना

  • तकनीकी गड़बड़ी या अकाउंट ब्लॉक होना


Cheque Bounce पर राहत: सुप्रीम कोर्ट का नया नियम अब सीधे जेल नहीं!

⚖️ क्या चेक बाउंस होते ही जेल होती है?

नहीं, अब ऐसा नहीं है। पहले लोग मानते थे कि चेक बाउंस यानी तुरंत जेल, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरोपी को पहले अपना पक्ष रखने और रकम चुकाने का पूरा मौका मिलना चाहिए।

कोर्ट के अनुसार अब प्रक्रिया इस प्रकार होगी:

  1. पहला स्टेप – लीगल नोटिस:
    यदि आपका चेक बाउंस होता है, तो जिस व्यक्ति को आपने चेक दिया था, वह आपको 15 दिनों के भीतर पेमेंट करने के लिए एक लीगल नोटिस भेजेगा।

  2. दूसरा स्टेप – केस दर्ज:
    यदि आप 15 दिनों में भुगतान नहीं करते, तो सामने वाला 30 दिनों के अंदर कोर्ट में केस दर्ज कर सकता है।


📜 कौन-कौन सी धाराएं लागू होती हैं?

चेक बाउंस के मामले Negotiable Instruments Act, 1881 की निम्न धाराओं के अंतर्गत दर्ज होते हैं:

  • धारा 138: चेक बाउंस होना एक अपराध है

  • धारा 139: चेक देने वाले की मंशा को लेकर नियम

  • धारा 142: केस दाखिल करने की प्रक्रिया

सजा:
दोषी पाए जाने पर 2 साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।


🛑 सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है:

  • चेक बाउंस एक जमानती अपराध है

  • आरोपी को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा

  • कोर्ट आरोपी को अपनी सफाई देने का पूरा मौका देगा

  • अंतिम फैसला आने तक आरोपी को जमानत मिल सकती है


💰 अंतरिम मुआवजा क्या है?

2019 में आए संशोधन के तहत:

  • कोर्ट चाहे तो आरोपी को पीड़ित को 20% तक की राशि अंतरिम रूप से देने को कह सकता है

  • अगर बाद में आरोपी बरी हो जाता है, तो यह पैसा उसे वापस मिल सकता है


📤 अगर कोर्ट सजा सुना दे तो क्या करें?

अगर कोर्ट ने सजा सुना दी, तो घबराएं नहीं:

  • CrPC धारा 374(3): आप 30 दिन के अंदर अपील कर सकते हैं

  • धारा 389(3): आप सजा को सस्पेंड करने की मांग कर सकते हैं

  • जब तक पूरा मामला खत्म न हो जाए, आप बेल पर बाहर रह सकते हैं


🔧 अगर आपसे चेक बाउंस हो गया है तो क्या करें?

  1. घबराएं नहीं, सामने वाले से बात करें

  2. अगर नोटिस आया है, तो 15 दिनों के अंदर पेमेंट करें

  3. कोर्ट की कार्रवाई से बचने के लिए समय पर समाधान निकालें

  4. कानूनी सलाहकार से तुरंत संपर्क करें


📝 जरूरी सावधानियां – ताकि चेक बाउंस न हो

  • चेक देने से पहले अकाउंट बैलेंस जरूर चेक करें

  • चेक पर सही तारीख, सिग्नेचर और अमाउंट भरें

  • किसी भी प्रकार की ओवरराइटिंग न करें

  • चेक पर दी गई जानकारी से मिलान करें

  • लीगल नोटिस को कभी नज़रअंदाज़ न करें


⚖️ सुप्रीम कोर्ट का संदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि व्यापार या लेन-देन में अस्थायी समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन जानबूझकर धोखा देना अपराध है।
अगर आप इमानदारी से व्यवहार करते हैं और विवाद सुलझाने की कोशिश करते हैं, तो न्यायपालिका भी सहयोग करती है


📌 निष्कर्ष

अब चेक बाउंस मामलों में सीधी जेल की अनिवार्यता नहीं रही, लेकिन यह अब भी एक गंभीर अपराध है।
आपको अपना पक्ष रखने, पेमेंट करने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए पूरा मौका मिलता है। जरूरत है सिर्फ समय पर एक्शन लेने की और सही सलाह लेने की।


⚠️ Disclaimer:

यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे कानूनी सलाह न समझें। यदि आपको चेक बाउंस मामले में नोटिस मिला है, तो किसी कुशल वकील या कानूनी सलाहकार से तुरंत संपर्क करें। कानूनों में बदलाव संभव है, इसलिए अधिकारिक स्रोतों से अद्यतित जानकारी लेते रहें।

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